डाइबिटीज से कमजोर हो सकती है याददाश्त

चेक रिपब्लिक में आयोजित होने वाली विश्व की सबसे बड़ी ऐंडोक्रोनोलॉजी कॉन्फ्रेंस में डॉ भरत साबू के तीन शोध पत्र चयनित

यदि आप युवा है और सामान्य रूप से चीजे भूलने लगे है तो हो सकता है, यह समस्या डायबिटीज की कारण हो। यह बातहाल ही में यूरोपियन सोसायटी ऑफ इंडोक्रिनोलॉजी में चयनित शोध पत्र में सामने आई। इस शोध की खास बात यह है की इसे इंदौर के ख्यात डॉक्टर भरत साबू ने मालवा क्षेत्र के युवाओं पर ही किया है।

चेक रिपब्लिक में आयोजित होने वाली विश्व की सबसे बड़ी ऐंडोक्रोनोलॉजी कॉन्फ्रेंस में डॉ भरत साबू के तीन शोध पत्र चयनित किये गए है। संभवतः यह पहला मौका है जब शुगर जैसी बीमारी के चिकित्सकीय पक्ष के साथ उसके सामाजिक और व्यवहारिक पक्ष को किसी पेशेवर विशेषज्ञ ने इस तरह प्रस्तुत किया है।

प्रतिष्ठित कॉन्फ्रेंस में चयन होने वाले पहले शोध पत्र में डॉक्टर साबू ने पाया कि डाइबिटीज के युवा रोगियों में भूलने की समस्या जल्दी सामने आ जाती है। यदि समय रहते इस समस्या की पहचान कर ली जाए तो रोगी को भविष्य के दुष्परिणाम से बचाया जा सकता है। स्मरण शक्ति का ह्रास और शुगर की बीमारी के परस्पर प्रभावों का यह अनूठा शोध विश्व भर में सराहा जा रहा है।

डॉ साबू के इस शोध निष्कर्ष को डाइबिटीज शोध के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रतिष्ठित शोध पत्रिका ” “एंडोक्राइन एब्स्ट्रैक्टस” में प्रकाशित किया जाएगा। जो भविष्य में इस क्षेत्र के शोधकर्ताओं, विशेषज्ञों और चिकित्सको के लिए संदर्भ का काम करेगा।

शुगर से स्वास्थ्य पर होने वाले सामान्य प्रभावों से अलग यह शोध व्यक्ति की मानसिक क्षमता अर्थात स्मरण शक्ति को लेकर उचित समाधान प्रस्तुत करता है।

डॉ भरत साबू, चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषकर समाज मे राजरोग माने जाने वाले डायबिटीज को लेकर विशिष्ट शोध कार्य कर रहे है।

एक अन्य शोध में इस चिकित्सकीय समस्या के सामाजिक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए डॉ साबू ने निष्कर्ष निकाला कि समाज मे 78% लोग अपने बच्चों की शादी डायबिटीज पीड़ित लड़के/लड़की से नही करना चाहते।

मध्यभारत के डायबिटिक रोगियो के विवाह पर किये अपने शोध में डॉ साबू ने यह भी पाया कि जो लोग ख़ुद इस बीमारी से ग्रस्त है, उनमे से 85% लोग अपने बच्चों के डायबिटिक व्यक्ति से विवाह को लेकर नकारात्मक सोच रखते है। यहां यह तथ्य भी ध्यान में रखना जरूरी है कि समाज के 82% लोग इस बीमारी के भविष्य में होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर चिंतित रहते है।

भारत मे टेलीमेडिसिन को लेकर किये गए एक अन्य शोध में डॉ साबू ने पाया कि लॉक डाउन के दौरान समाज मे टेलीमेडिसिन का उपयोग अपेक्षाकृत बढ़ा है। मगर एक मरीज के रूप में मानसिक संतुष्टि व्यक्ति को तभी हासिल होती है जब कि वह अपने डॉक्टर के समक्ष उपस्थित होता है।

टेली मेडिसिन की सराहना के बाद भी समाज मे डॉक्टर से व्यक्तिगत संपर्क ही मरीज को संतोष और संबल प्रदान करता है।

डॉ भरत साबू के तीनों शोध पत्र की उपयोगिता सामाजिक जीवन मे शुगर की बीमारी को लेकर लोगो के कार्य- व्यवहार और सरोकारों को नई सोच देने वाली रहेगी। डॉ साबू के शोध का बड़ा महत्व प्रदेश के लिए इसलिए भी अधिक है कि शोध का सैंपल, परिकल्पना से लेकर परीक्षण, परिणाम तक सारे कार्य मालवा क्षेत्र को आधार बना कर किये गए है।

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